Tuesday, June 30, 2020

कम्प्युटर का आविष्कार कैसे हुआ |

कम्प्युटर का आविष्कार कैसे हुआ ?

 

Computer ka aavishkaar kaise hua



हॅलो फ़्रेंड्स आज हम बात करने वाले है की कम्प्युटर का आविष्कार कैसे हुआ | क्या आपने कभी सोचा है की जो कम्प्युटर ओर लैपटाप आज के युग मे हम इस्तेमाल करते है उसकी शुरुआत कैसे हुई होगी किन कारणो की वजह से मनुष्य को कम्प्युटर की ज़रूरत पड़ी होगी और किन किन लोगो ने कम्प्युटर को बनाने मे योगदान दिया | अगर आप ये सब जानना चाहते है तो इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़ते रहिए |

                            

दोस्तों आज के समय मे हम जो कम्प्युटर उसे करते है वो शुरुआती दौर मे ऐसे नहीं थे न तो उनमे किसी भी तरह के ग्राफिक्स होते थे ओर नहीं कोई इंटरफ़ेस शायद आपको जानकर हैरानी होगी की मनुष्य ने कम्प्युटर का आविष्कार गणना के कार्यो को सरल करने के लिए किया था | गणना के कार्यो को सरल करने वाले उपकरणो के आविष्कार मे बहुत से लोगो ने योगदान दिया उनमे से एक है चार्ल्स बेबेज | इनहोने कम्प्युटर के आविष्कार मे बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है |

 

                कम्प्युटर मे ड्राइव का नाम C से ही क्यूँ शुरू होता है |


मनुष्य ने गणना के क्रयों को आसान बनाने के लिए आबाकास जैसा उपकरण बनाया | इसके हजारो साल बाद चार्ल्स बेबेज(Charls Bebage) ने डिफरेंस इंजन के नाम से मशीन बनाई | इसी वजह से उन्हे कम्प्युटर का जनक कहा गया | इनके द्वारा निर्मित डिफरेंस इंजन ने गणना के कार्यों को सरल बनाया पर इनके इस उपकरण मे कुछ खामिय थी जिनहे आगे चलकर दूसरे वेज्ञानिकों ने सही किया |

 

दोस्तों जिस कम्प्युटर को हम आज प्रयोग करते है, उसके विकास क्रम मे बहुत स लोगो का महान योगदान रहा है आइये एक – एक करके कम्प्युटर के विकास क्रम को समझ लेते है |

 

 

डिफरेंस इंजन से एनालिटिकल इंजन

 

1791 मे इंगलेंड के एक गणितज्ञ ने कुछ समीकरणों को हल करते समय पाया की वो जिस सारणी का इस्तेमाल कर रहे है उसमे बहुत सी गलतिया है | इस गणितज्ञ का नाम था चार्ल्स बेबेज | बेबेज ने सोचा की वह एक ऐसी मशीन बनाए की जो समीकरणों के अंतर का हिसाब ठीक – ठीक तरह से करके उन्हे हल कर सके | इसलिए उन्होने ने एक मेकेनिकल यंत्र बनाया | जिसका नाम उन्होने डिफरेंस इंजन रखा | डिफरेंस इंजन इन समीकरणों और सारणियों के संदर्भ मे सही था | 

 

इंगलेंड की सरकार ने इस प्रयास से प्रसन्न होकर सन 1830 मे उन्हे सरकारी मदद प्रदान की और उन्होने इस मशीन मे सुधार करके एनालिटिकल इंजन की नाम से एक नयी मशीन का डिजाइन बनाया |


इतिहास के 5 सबसे खतरनाक कम्प्युटर वाइरस जिनके बारे मे हर किसी को पता होना चाहिए |

 

लेकिन उनकी बढ़ती उम्र और गिरते स्वास्थ्य ने उनके जीते जी यह प्रयास पूरा नहीं होने दिया | इस तरह से उन मशीनों के बनने के शुरुआत हुई जिनसे गणनाओं का कार्य आसान किया जा सके |

 

हरमन हालीरिथ : टेबुलिंग मशीन से आईबीएम तक

 

सन 1880 मे अमेरिकन सरकार ने अपने यहाँ जनगणना का कार्य शुरू किया | इसमे उन्हे लगभग 7 वर्ष लगे | उन्होने जनगणना की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन किया और उसमे वेज्ञानिकों को अपने द्वारा बनाई गयी मशीन के साथ आमंत्रित किया गया |

 

इसमे हरमन हालीरिथ नाम के एक वेज्ञानिक के टेबुलिंग मशीन को सर्वशेष्ठ चुना गया और उनके द्वारा बताई गयी प्रक्रिया से सन 1890 के जनगणना के परिणाम केवल डेढ़ महीने मे ही घोषित कर दिये |

 

काली लिनक्स क्या है |


यहाँ पर जब हम बेबेज और हालीरिथ की मशीनों के बीच मूल अंतर पर नज़र डालते है तो एक मूल अंतर इन दोनों मशीनों मे आ चुका था | जहां बेबेज के मशीन यांत्रिक थी वहीं हालीरिथ ने अपनी मशीन मे इलेक्ट्रोनिक शक्ति का प्रयोग किया था |

 

 

कम्प्युटर की पीढ़ियाँ

 

कम्प्युटर की पहली पीढ़ी 1951-1958 के बीच की मानी जाती है | कहते है मी व्यावसायिक कम्प्युटर युग की शुरुआत 14 जून 1951 को हुई थी | इसी दिन यूनिवरसल औटोमेटिक कम्प्युटर का प्रयोग जनगणना के उद्देश्य से किया गया था |

 

इस कम्प्युटर मे वेक्कियूम ट्यूब का इस्तेमाल हुआ था और इसी दिन पहली बार कम्प्युटर का इस्तेमाल सेना, वेज्ञानिक और दूसरे इंजीनियरिंग कार्यों के अलावा व्यापार के लिए किया गया |

 

कम्प्युटर युग की दूसरी पीढ़ी का समय 1959 से 1964 तक निर्धारित किया है | इस पीढ़ी की सबसे बड़ी खासियत यह थी की इस पीढ़ी मे कम्प्युटर मे वेक्कियूम ट्यूब की जगह ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल होने लगा था |

 

फ़ाइल सिस्टम क्या होता है |


प्रसिद्ध बैल प्रयोगशाला के तीन प्रमुख वेज्ञानिकों जेबडीन, एचडबल्यू ब्रिटेन और डबल्यू साकले ने मिलकर ट्रांजिस्टर का विकास किया था |

 

कम्प्युटर की तीसरी पीढ़ी को वेज्ञानिकों ने सन 1965 से 1970 के बीच मे निर्धारित किया है | वास्तव मे हम कम्प्युटर की तीसरी पीढ़ी को ही क्रांतिकारी समय मान सकते है | यह वे समय है जिसमे इंटीग्रेटेड सर्किट अर्थात आईसी का प्रयोग कम्प्युटर मे प्रारम्भ हुआ |

 

चोथी पीढ़ी को वेज्ञानिकों ने 1971 से 1990 के बीच निर्धारित किया है |1970 के दशक मे कम्प्युटर की कारयाशमता मे अविश्वासनीए वृद्धि हुई | लेकिन वास्तव मे चोथी पीढ़ी कम्प्युटर की तीसरी पीढ़ी का ही विस्तार तकनीक थी |

 

लेकिन सान 1971 मे पहली बार माइक्रो प्रोसेसर बाज़ार मे आया | जिसकी वजह से कम्प्युटर की शक्ति मे बहुत ही इजाफा हुआ |

 

वर्तमान समय मे हम पाँचवी पीढ़ी के कम्प्युटर का प्रयोग कर रहे है | इसी के तहत आज पेंटियम प्रोसेसर बाज़ार मे उपलब्ध है |

 

कम्प्युटर की प्रमुख भाग और कार्यप्रणाली

 

कम्प्युटर मूल रूप से तीन भागों मे विभाजित होता है | इन्हे हम इनपुट यूनिट, प्रोसेसिंग यूनिट और आउटपुट यूनिट के नाम से जानते है | नीचे इमेज मे देखकर आप इसे समझ सकते है |

 



 

इनपुट करने के लिए कीबोर्ड और माउस, प्रोसेसिंग के लिए CPU और आउटपुट के लिए मॉनिटर और प्रिंटर का प्रयोग होता है | इसके अलावा वर्तमान समय मे इनपुट और आउटपुट करने के लिए कई नए – नए उपकरणो का प्रयोग होने लगा है |

 

इनपुट करने के लिए स्कैनर, माइक, ट्रेकबाल, ज़्वाय स्टिक और डिजिटल कैमरो का प्रयोग होने लगा है वहीं आउटपुट के लिए स्पीकरो और इमेजसेटर जैसी मशीनों का प्रयोग गॉन लगा है |

 

माइक के द्वारा हम बोलकर आवाज़ को कम्प्युटर मे इनपुट कर सकते है | यह आवाज़ डिजिटल रूप मे इनपुट होती है |

 

स्कैनर के द्वारा आप कागज परे छापे हुए टेक्स्ट या इमेज को कम्प्युटर मे इनपुट कर सकते है |

 

मै आशा करता हूँ की अब आपको समझ आ गया होगा की कम्प्युटर का आविष्कार कैसे हुआ अगर फिर भी आपका कोई सवाल है तो आप मुझे नीचे कमेंट करके पूछ सकते है |

 

 

 

 


1 comment: